Monday, November 21, 2022

छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र | traditional musical instruments of chhattisgarh cgpsc

छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र | traditional musical instruments of chhattisgarh cgpsc 
छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र | traditional musical instruments of chhattisgarh cgpsc

1.ढोल -

इसका खोल लकड़ी का होता है । इस पर बकरे का चमड़ा मढ़ा जाता है एवं लोहे की पतली कड़ियां लगी रहती है । जिसे चुटका कहते है । चमड़े अथवा सूत की रस्सी के द्वारा इसको खींचकर कसा जाता है । फाग तथा शैला नृत्यों में इनका विशेष उपयोग होते हैं ।

2.नगाड़ा-

आदिवासी क्षेत्र में इसे यमार या ढोलकिया लोग उत्सवों के अवसर पर बजाते हैं, छत्तीसगढ़ में फाग गीतों में इसका विशेष प्रयोग होते हैं । नगाड़ों में जोड़े अलग-अलग होते हैं । जिसमें एकाकी आवाज पतली (टीन) तथा दूसरे की आवाज मोटी (गद्द) होती है । जिसे लकड़ी की डंडीयों से पीटकर बजाये जाते हैं । जिसे बठेना कहते हैं । इसमें नीचे पकी हुई मिट्टी का बना होता है ।

3.अलगोजा-

तीन या चार छिद्रों वाली बांस से बनी बांसुरी को अलगोजा या मुरली कहते हैं, अलगोजा प्रायः दो होते हैं, जिसे साथ मुंह में दबाकर फूंक कर बजाते हैं । दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं । जानवरों को चराते समय या मेलों मड़ाई के अवसर पर बजाते हैं ।

4.खंजरी या खंझेरी-

डफली के घेरे में तीन या चार जोड़ी झांझ लगे हो तो यह डफली या खंझेरी का रुप ले लेता है, जिसका वादन चांग की तरह हाथ की थाप से किया जाता है ।

5.चांग या डफ-

चार अंगुल चौड़े लकड़ी के घेरे पर मढ़ा हुआ चक्राकार वाद्य सोलह से बीस अंगूल का व्यास होते हैं जिसे तारों हाथ के थाप से बजाया जाता है, इसके छोटे स्वरुप को डफली कहते हैं, और बड़े स्वरुप को कहते हैं ।

6.ढोलक-

यह ढोल की भांति छोटे आकार की होती है । लकड़ी के खोल में दोनो तरफ चमड़ा मढ़ा होता है, एक तरफ पतली आवास और दूसरे तरफ मोटी आवाज होती है, मोटी आवाज तरफ खखन लगा रहता है, भजन, जसगीत, पंडवानी, भरथरी, फाग आदि इसका प्रयोग होता है ।

7.ताशा-


मिट्टी की पकी हुई कटोरी (परई) नुमा एक आकार होता है, जिस पर बकरे का चमड़ा मढ़ा होता है, जिसे बांस की पतली डंडी से बजाया जाता है, छत्तीसगढ़ में फाग गीत गाते समय नगाड़े के साथ इसका प्रयोग होता है ।

8.बांसुरी-

यह बहुत ही प्रचलित वाद्य है, यह पोले होते हैं । जिसे छत्तीसगढ़ में रावत जाति के लोग इसका मुख्य रुप से वादन करते हैं, पंडवानी, भरथरी में भी इसका प्रयोग होता है ।

9.करताल, खड़ताल या कठताल-

लकड़ी के बने हुए 11(ग्यारह) अंगूल लंबे गोल डंडों को करताल कहते हैं, जिसके दो टुकड़े होते हैं, दोनों टुकड़ो को हाथ में ढीले पकड़कर बजाया जाता है, तमूरा, भजन, पंडवानी गायन में मुख्यतः इसका प्रयोग होता है ।

10.झांझ-

झांझ प्रायः लोहे का बना होता है, लोहे के दो गोल टुकड़े जिसके मध्य में एक छेद होता है, जिस पर रस्सी या कपड़ा जिस पर रस्सी या कपड़ा हाथ में पकड़ने के लिए लगाया जाता है । दोनों एक-एक टुकड़े को एक-एक हाथ में पकड़कर बजाया जाता है ।

11.मंजीरा-

झांझ का छोटा स्वरुप मंजीरा कहलाता है । मंजीरा धातु के गोल टुकड़े से बना होता है, भजन गायन, जसगीत, फाग गीत आदि में प्रयोग होता है ।

12.मोंहरी-

यह बांसुरी के समान बांस के टुकड़ों का बना होता है । इसमें छः छेद होते हैं । इसके अंतिम सीरे में पीतल का कटोरीनुमा..... लगा होता है । एवं इसे ताड़ के पत्ते के सहारे बजाया जाता है । मुख्यतः गंड़वा बाजा के साथ इसका उपयोग होता है ।

13.दफड़ा-

यह चांग की तरह होता है । लकड़ी के गोलाकार व्यास में चमड़ा मढ़ा जाता है एवं लकड़ी के एक सीरे पर छेद कर दिया जाता है जिस पर रस्सी बांधकर वावदक अपने कंधे पर लटकाता है, जिसे बठेना के सहारे बजाया जाता है, इसे बठेना पतला तथा दूसरा बठेना मोटा होता है ।

14.निशान या गुदुंम या सिंग बाजा-

यह गड़वा बाजा साज का प्रमुख वाद्य है । लोहे के कढ़ाईनुमा आकार में चमड़ा मढ़ा जाता है । चमड़ा मोटा होता है एवं चमड़े को रस्सी से ही खींचकर कसा जाता है । लोहे के बर्तन में आखरी सिरे पर छेद होता है, जिस पर बीच-बीच में अंडी तेल डाला जाता है एवं छेद को कपड़े से बंद कर दिया जाता है । ऊपर भाग में खखन तथा चीट लगाया जाता है । टायर के टुकड़ों का बठेना बनाया जाता है, जिसे पिट-पिट कर बजाया जाता है इसके बजाने वाले को निशनहा कहते हैं । गुदुम या निशान पर बारह सींगा जानवर का सींग भी लगा दिया जाता है इस प्रकार आदिवासी क्षेत्रों में इसे सिंग बाजा कहते हैं ।

Saturday, November 19, 2022

छत्तीसगढ़ विधानसभा-एक परिचय | cg vidhansabha complete information

छत्तीसगढ़ में कितने विधान सभा क्षेत्र हैं?छत्तीसगढ़ की विधानसभा में कितने सदस्य हैं?छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष कौन हैं?छत्तीसगढ़ के विधानसभा क्षेत्र का नाम क्या है?

केन्द्र में कार्यपालिका की शक्तियां राष्ट्रपति तथा राज्यों में राज्यपाल में निहित होती हैं, तथा वे इसका सीधा उपयोग न करते हुए मंत्रि परिषद् की सलाह से कार्य करते हैं। केन्द्र में प्रधानमंत्री तथा राज्यों में मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रि परिषद् सामूहिक रूप से जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की सर्वोच्च विधायी संस्था के प्रति जवाबदेह होती है।

cg vidhansabha

विधायिका का कार्य है विधान बनाना, नीति निर्धारण करना, शासन पर संसदीय निगरानी रखना तथा वित्तीय नियंत्रण करना। दूसरी ओर कार्यपालिका का कार्य है विधायिका द्वारा बनायी गयी विधियों और नीतियों को लागू करना एवं शासन चलाना। राज्यों की विधायिका विधान सभा के लिए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से गठित होती है। इन जनप्रतिनिधियों को ''विधायक'' कहा जाता है।

संविधान के अनुसार विधान मण्डल राज्यपाल एवं विधान सभा को मिलकर बनता है। विधान सभा को आहूत करना, सत्रावसान करना, विधान सभा द्वारा पारित विधेयक पर अनुमति देना तथा विधान सभा में अभिभाषण देना आदि विधान सभा से संबंधित राज्यपाल के महत्वपूर्ण कार्य हैं।

सभा द्वारा पारित विधेयक तब तक अधिनियम नहीं बनता जब तक कि राज्यपाल उस पर अपनी स्वीकृति नहीं देते हैं। अन्त: सत्रकाल में जब राज्यपाल को यह संतुष्टि हो जाये कि तत्काल कार्यवाही करना आवश्यक है, तब वे अध्यादेश प्रख्यापित कर सकते हैं। यह कानून की तरह ही लागू होता है।

वर्तमान में विधानसभा पदाधिकारी गण -

सुश्री अनुसुईया उइके -मान.राज्यपाल
डॉ. चरणदास महंत-मान. अध्यक्ष
श्री भूपेश बघेल-मान‍.मुख्यमंत्री
श्री नारायण चंदेल-मान. नेता प्रतिपक्ष
श्री रविन्द्र चौबे-मान. संसदीय कार्य मंत्री
श्री दिनेश शर्मा-सचिव

सभा का अध्यक्ष:-

विधान सभा एवं विधानसभा सचिवालय का प्रमुख, पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष) होता है, जिसे संविधान, प्रक्रिया, नियमों एवं स्थापित संसदीय परंपराओं के अन्तर्गत व्यापक अधिकार होते हैं। सभा के परिसर में उनका प्राधिकार सर्वोच्च है। सभा की व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी होती है और वे सभा में सदस्यों से नियमों का पालन सुनिश्चित कराते हैं। सभा के सभी सदस्य अध्यक्ष की बात बड़े सम्मान से सुनते हैं। अध्यक्ष सभा के वाद-विवाद में भाग नहीं लेते, अपितु वे विधान सभा की कार्यवाही के दौरान अपनी व्यवस्थाएँ/निर्णय देते हैं। जो पश्चात् नज़ीर के रूप में संदर्भित की जाती हैं।
सभा में अध्यक्ष और उनकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष सभा का सभापतित्व करते हैं और दोनों की अनुपस्थिति में सभापति तालिका का कोई एक सदस्य। सभापति तालिका की घोषणा प्रत्येक सत्र में माननीय अध्यक्ष सदन में करते हैं।

विधान सभा के सत्र:-

विधान सभा का सत्र आहूत करने की शक्ति राज्यपाल में निहित होती है। संविधान में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।

विधान सभा के गठन के पश्चात् प्रथम सत्र के प्रारंभ में और प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष के प्रथम सत्र में राज्यपाल सभा में अभिभाषण देते हैं। राज्यपाल के सदन में पहुंचने की सूचना सदस्यों को दी जाती है, तथा उनके विधान सभा भवन के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर विधान सभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, विधान सभा के प्रमुख सचिव, राज्यपाल के प्रमुख सचिव के साथ चल-समारोह में सभाभवन में पहुंचते हैं। जैसे ही राज्यपाल सभा कक्ष में प्रवेश करते हैं, मार्शल उनके आगमन की घोषणा करते हैं। सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो जाते हैं और तब तक खड़े रहते हैं जब तक कि राज्यपाल आसंदी पर पहुंचकर अपना स्थान ग्रहण नहीं कर लेते। उसके तुरंत बाद राष्ट्र गान की धुन बजाई जाती है, राज्यपाल का अभिभाषण होता है। अभिभाषण की समाप्ति के बाद पुन: राष्ट्र गान की धुन बजाई जाती है।

विधान सभा सत्र सामान्य तौर पर वर्ष में तीन बार आहूत किए जाते हैं, जो कि बजट सत्र, मानसून सत्र तथा शीतकालीन सत्र कहलाते हैं। विधान सभा के प्रत्येक सत्र की प्रथम बैठक राष्ट्रगीत एवं राज्य गीत से प्रारंभ होती है और सत्र की अन्तिम बैठक राष्ट्रगान से समाप्त होती है।

सभा का कार्य:-

राज्य तथा लोक महत्व के महत्वपूर्ण विषयों पर सदस्यगण सदन में चर्चा करते हैं। जैसे कि -

(1)प्रश्न-उत्तर : -

प्रश्न-उत्तर के माध्यम से सदस्य किसी विषय पर शासन से जानकारी माँग सकते हैं। प्रश्न पूछते हैं, जिसका उत्तर शासन पक्ष की ओर से संबंधित विभाग के मंत्री देते हैं। शासन के प्रत्येक विभाग के लिए सप्ताह में एक दिन प्रश्नोत्तर हेतु नियत रहता है।

प्रश्नोत्तर काल को सामान्यत: स्थगित नहीं किया जाता।

शासन पर नियंत्रण का यह सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है इस कालखण्ड में मंत्री पूरी जवाबदेही से अपने विभाग के कार्यों की जानकारी देता है।

(2)शून्यकाल :-

प्रश्नकाल के पश्चात् अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने, निवेदन करने का औपचारिक कार्य जब सदस्य अनुमति अथवा बिना औपचारिक अनुमति के अपनी बात सभा में कहते हैं ''शून्यकाल'' कहलाता है। अब शून्यकाल की प्रक्रिया भी नियमों में सम्मिलित कर ली गई है। (नियम 267-क)

(3) ध्यानाकर्षण सूचना एवं स्थगन प्रस्ताव :-

ऐसे महत्वपूर्ण लोकहित के विषय जिस पर सदस्य बिना विलम्ब के शासन का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, इस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। जब कोई विषय अविलम्बनीय व इतना महत्वपूर्ण हो कि पूरा प्रदेश इससे प्रभावित होता है ऐसे विषय पर स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से सभा विचार-विमर्श करती है। अर्थात सभा के समक्ष कार्यसूची के समस्त कार्य रोककर सभा स्थगन प्रस्ताव पर विचार करती है।

प्रस्तावों की ग्राह्यता का सर्वाधिकार अध्यक्ष का होता है।

(4) वित्तीय कार्य :-

बजट :-

शासन का वार्षिक आय-व्यय विवरण प्रति वर्ष बजट सत्र में सदन में बजट के रूप में वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। वित्त मंत्री शासन की नीतियों एवं योजनाओं का विवरण देते हुए विगत वर्ष के लक्ष्यों की पूर्ति का उल्लेख भी करते हैं। प्रथम चरण में सामान्य चर्चा होती है और द्वितीय चरण में विभागवार अनुदान माँगों पर चर्चा होती है। सभा द्वारा स्वीकृत किए जाने पर ही शासन आबंटित बजट को स्वीकृति अनुसार व्यय कर सकता है। शासन का वित्तीय वर्ष 01 अप्रैल से प्रारंभ होकर अगले वर्ष के 31 मार्च तक की अवधि के लिए रहता है। अत: सामान्यत: बजट सत्र फरवरी-मार्च की अवधि में ही नियत होता है।

मानसून सत्र तथा शीतकालीन सत्र में अनुपूरक अनुमान संबंधी वित्तीय कार्य किये जाते हैं।

(5) विधायी कार्य :-

कार्यपालिका का यह कर्तव्य होता है कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत विधान सभा के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विषयों पर आवश्यकतानुसार कानून बनाने हेतु विधेयक प्रस्तुत करें। विधान सभा में विधान/कानून बनाने संबंधी विधेयक पेश किए जाने पर उस पर चर्चा/वाद-विवाद होता है तथा जब पूण

विचारोपरांत विधेयक पारित कर दिया जाता है, तब इसे राज्यपाल या राष्ट्रपति के पास अनुमति के लिये भेजा जाता है और विधेयक पर अनुमति प्राप्त होने पर वह अधिनियम बनता है। इसके बाद इसे क्रियान्वित कराने का उत्तरदायित्व पुन: कार्यपालिका को सौंप दिया जाता है।

क्षेत्र क्रमांक -विधान सभा क्षेत्र का नाम

1. भरतपुर - सोनहत
2. मनेन्द्रगढ
3. बैंकुठपुर
4. प्रेमनगर
5. भटगांव
6. प्रतापपुर
7. रामानुजगंज
8. सामरी
9. लुण्ड्रा
10. अम्बिकापुर
11. सीतापुर
12. जशपुर
13. कुनकुरी
14. पत्थलगांव
15. लैलुंगा
16. रायगढ़
17. सारंगढ
18. खरसिया
19. धर्मजयगढ
20. रामपुर
21. कोरबा
22. कटघोरा
23. पाली - तानाखार
24. मरवाही
25. कोटा
26. लोरमी
27. मुंगेली
28. तखतपुर
29. बिल्हा
30. बिलासपुर
31. बेलतरा
32. मस्तुरी
33. अकलतरा
34. जांजगीर-चाम्पा
35. सक्ती
36. चन्द्रपुर
37. जैजेपुर
38. पामगढ
39. सराईपाली
40. बसना
41. खल्लारी
42. महासमुंद
43. बिलाईगढ्
44. कसडोल
45. बलौदाबाजार
46. भाटापारा
47. धरसींवा
48. रायपुर ग्रामीण
49. रायपुर नगर पश्चिम
50. रायपुर नगर उत्तर
51. रायपुर नगर दक्षिण
52. आरंग
53. अभनपुर
54. राजिम
55. बिन्द्रानवागढ
56. सिहावा
57. कुरूद
58. धमतरी
59. संजारी बालोद
60. डौण्डीलोहारा
61. गुण्डरदेही
62. पाटन
63. दुर्ग ग्रामीण
64. दुर्ग शहर
65. भिलाई नगर
66. वैशाली नगर
67. अहिवारा
68. साजा
69. बेमेतरा
70. नवागढ्
71. पंडरिया
72. कवर्धा
73. खैरागढ
74. डोंगरगढ्
75. राजनांदगांव
76. डोंगरगांव
77. खुज्जी
78. मोहला - मानपुर
79. अंतागढ्
80. भानुप्रतापपुर
81. कांकेर
82. केशकाल
83. कोण्डागांव
84. नारायणपुर
85. बस्तर
86. जगदलपुर
87. चित्रकोट
88. दन्तेवाडा
89. बीजापुर
90. कोन्टा

Saturday, November 12, 2022

adsense ads.txt error fix in 2022 with 3 simple steps

after trying everything from the internet the ads txt error is not getting fixed|solve


अगर आपने इंटरनेट पर उपलब्ध सभी तरीको को ट्राई कर लिया है फिर भी
Earnings at risk - You need to fix some ads.txt file issues to avoid severe impact to your revenue

का error फिक्स नहीं हो रहा तो ये तरिका ट्राई करके देख सकते हैं

adsense ads.txt error fix in 2022 with 3 simple steps
1.Did you try via HTTP and HTTPS, without www?

http://mysite.com/ads.txt

https://mysite.com/ads.txt


An ads.txt file on www.domain.com/ads.txt will only be crawled if domain.com/ads.txt redirects to it.

Please ensure the ads.txt is accessible via both HTTP and HTTPS


2.अगर आप गूगल एडसेंस के अलावा दूसरा एडनेटवर्क यूज कर रहे थे पर अब नहीं कर रहे तो उस एड नेटवर्क के एकाउंट को बंद करिए ।


3.robots.txt फाइल को इस फाॅर्मेट मे अपडेट करके देखें

User-agent: Mediapartners-Google

Disallow: 

User-agent: *

Disallow: /search

Allow: /

Sitemap: https://www.example.com/sitemap.xml

It can take some time for AdSense to auto-crawl your ads.txt file and verify it. You need to wait for a few days for the process to be completed and the status of your ads.txt file to be updated. If you didn’t send any ad requests from your website, this process can take at least a month to update.


Monday, October 17, 2022

मोर मन झूमे मोर तन झूमे Lyrics |mor man jhume cg song lyrics

 मोर मन झूमे मोर तन झूमे Lyrics |mor man jhume cg song lyrics

मोर मन झूमे मोर तन झूमे Lyrics |mor man jhume cg song lyrics

मोर मयारू ले चलना मोला संग म तै
डोला बैठाके अपन अंगना रे
हां अपन अंगना रे 

तोला ले जाहू एक दिन
मै हा दुल्हन बनाके
पड़ही तोरे कदम मोरे दुवारी म
हां मोरे दुवारी म

अइसे लागे हे नशा चढ़गे
तन मन म आगी लगगे हे
तोर मया के चढ़गे बुखार
मोर मन झूमे मोर तन झूमे
तोर मया ला पागेंव मै मोर दिल झूमे
मोर मन झूमे मोर तन झूमे


सुन ना ए गा राजा तैं मोरे
ए जवानी ला छू लेना
अब तो नहीं सहावय ना
का होगे आज तोरे चलन ला
कइसे कइसे लागे तोर मन
मोला लागत हे डर


अइसे लागे रे नशा चढ़गे
तन मन म आगी लगगे हे
तोर मया के चढ़गे बुखार
मोर मन झूमे मोर तन झूमे

तोर चक्कर पड़के आज
मोर सर घुमे
मोर मन झूमे मोर तन झूमे
सुन ना ए गा राजा तै मोला
एक चुम्मा तै दे देना
अब तो नइ सहावय ना
हो जाही आज ना कोनो कांड रे
तोर चुम्मा के चक्कर म रे
नौ महीना के लफड़ा


अइसे लागे रे नशा चढ़गे
तन मन म आगी भड़के
तोर मया के चढ़गे बुखार
मोर मन झूमे मोर तन झूमे
तोर मया ला पागेंव मै मोर दिल झूमे
मोर मन झूमे मोर तन झूमे


मान जाना मोरे प्रियतमा
तैं मोरे दिल के जानी रे
तोर बिन अधूरा मैं
जानव तोर सब्बो दिलदारी
पूरा के पूरा तैं लाबारी रे 
अब तो नइ हे भरोसा तोर


तोला ले जाहू डोली बैठाके
मोर अंगना म तोर पढ़ही कदम
तोला मया के चढ़गे बुखार
मोर मन झूमे मोर तन झूमे
तोर मया ला पागेंव मै मोर दिल झूमे

Sunday, October 16, 2022

छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ो के नाम |Names of 36 forts of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ो के नाम | Names of 36 forts of Chhattisgarh

साहित्य में छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम खैरागढ़ के राजा लक्ष्मीनिधि राय के काल में कवि दलपतराव ने सन 1494  में किया -" लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित दे ,गढ़ छत्तीस में न गढ़ैया रही " । 

रतनपुर के कवि गोपाल चंद्र मिश्र रचित खूब तमाशा में सन 1686 में छत्तीसगढ़ नाम का उल्लेख हुआ है। 

रेवाराम ने विक्रम विलास नामक ग्रन्थ में जिसकी रचना सन 1896 में हुई थी छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग किया है। 

छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ो के नाम

शाब्दिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का अर्थ होता है (छत्त्तीस +गढ़ ) छत्तीस किले या गढ़ कल्चुरी शासन काल में रतनपुर शाखा एवं रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 -18 गढ़ थे। इनमे से गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में तथा गढ़ नदी के दक्षिण में स्थित थे। कालांतर में उत्तर के गढ़ रतनपुर शाखा के अधीन तथा दक्षिण  के गढ़ रायपुर शाखा के अधिकार क्षेत्र में थे। इस प्रकार कुल 36 गढ़ थे इसका सन्दर्भ आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र की किताब छत्तीसगढ़ का इतिहास में मिलता है।  छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ो के नाम इस प्रकार है :-

रतनपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढ़ो के नाम -

  1. रतनपुर 
  2. मारो
  3.  विजयपुर 
  4. खरौद
  5.  कोटगढ़ 
  6. नवागढ़
  7.  सोढ़ी
  8.  औखर
  9.  पण्डरभाठा 
  10. सेमरिया
  11.  मदनपुर 
  12. कोसगई 
  13. लाफागढ़
  14.  केंदा
  15.  उपरोड़ा
  16.  मातिन
  17.  कंडी (पेण्ड्रा )
  18.  करकट्टी (बघेलखण्ड )

रायपुर रतनपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढ़ो के नाम -

  1. रायपुर
  2.  पाटन
  3.  सिमगा 
  4. सिंगारपुर
  5.  लवन
  6.  अमोरा
  7.  दुर्ग 
  8. सरदा 
  9. सिरसा 
  10. मोहदी 
  11. खलारी
  12.  सिरपुर
  13.  फिंगेश्वर 
  14. राजिम 
  15. सिंघनगढ़ 
  16. सुअरमार
  17.  टेंगनागढ़
  18.  एकलवार (अकलतरा )


Friday, September 16, 2022

केशकाल के पास है यह सुन्दर जलप्रपात होनहेड |honhed waterfall keshkal | bastar |cg

केशकाल के पास है यह सुन्दर जलप्रपात होनहेड honhed waterfall keshkal | bastar |cg 

केशकाल शहर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित और गोबरहीन मंदिर गढधनोरा के रास्ते पर ग्राम होनहेड़ से 1 km की दूरी पर है होनहेड़ जलप्रपात ।
honhed waterfall keshkal | bastar |cg
honhed waterfall

चारों तरफ से पहाड़ो से घिरा हुआ तथा ढलानों से गिरता यह जलप्रपात बारिश के दिनों में यहां पहुंचने वाले पर्यटकों का मन मोह लेता है । केशकाल में कुएमारी जलप्रपात के बाद होनहेड़ जलप्रपात को सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है ।

बस्तर का मनमोहक जलप्रपात बीजाकासा | bijakasa waterfall jagdalpur | bastar |cg

bijakasa waterfall jagdalpur | bastar |cg 

जगदलपुर शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित और नारायणपाल से 20 km की दूरी पर स्थित है बीजाकासा जलप्रपात 


bijakasa waterfall

लगभग 100 फीट ऊंचाई से गिरता यह जलप्रपात बारिश के दिनों में यहां पहुंचने वाले पर्यटकों का मन मोह लेता है. बस्तर में चित्रकोट, तीरथगढ़ जलप्रपात के बाद बीजाकासा जलप्रपात को सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है ।