कुटुमसर गुफा की पूरी जानकारी
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में यह जमीन से 330 मीटर 55 फीट नीचे फैली लंबी गुफाएँ हैं। चूना पत्थर से बनी कुटमसर गुफाओं में अंधी मछलियाँ पाई जाती हैं।बस्तर जिला मुख्यालय से दूर कुटुमसर गुफाओं की खोज 1958 में बिलासपुर के रहने वाले प्रोफेसर शंकर तिवारी ने की थी। प्रोफेसर तिवारी ने स्थानीय आदिवासियों की मदद से मशाल, रस्सी और अन्य आवश्यक वस्तुओं को लेकर इन गुफाओं में प्रवेश किया।उन्होंने देखा कि ये चूना पत्थर पहाड़ पानी के लगातार क्षरण के कारण बने हैं और इससे कई आकृतियाँ भी बनी हैं।
इन मछलियों की अंधी होने के पीछे का विज्ञान -
कुटुमसर गुफाओं में सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार लाखों सालों तक इन गुफाओं में रहने के दौरान मछली की आंखों का इस्तेमाल खत्म हो गया है, उनकी आंखों पर एक पतली झिल्ली बन गई है, जिसकी वजह से वे पूरी तरह से अंधे हो गए हैं।
सर्दियों में पर्यटकों के लिए खुलता है-
कुटुमसर गुफा के दरवाजे सुरक्षा की दृष्टि से बरसात के दिनों में बंद रखे जाते है प्रशासन द्वारा सर्दियों के पास यानी दिसंबर में खोले जाते हैं। गुफा को देखने के लिए हर पर्यटक को 25 रुपये का टिकट लेना पड़ता है तथा अगर आप फोटो लेना चाहते है तो कैमरा ले जाने के लिए अलग फीस देना होगा ।