छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन | छत्तीसगढ़ के रोटी पीठा | छत्तीसगढ़ी कलेवा | Traditional dishes of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ की संस्कृति में पारंपरिक व्यंजन अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। यहाँ के हर तीज त्योहारों में अलग अलग व्यजनों का जायका लिया जाता है। छत्तीसगढ़ में मुख्यतः की खेती की जाती है अतः यहाँ चांवल के बहुत से व्यंजन बनाये जाते है।
- नुनहा चीला रोटी - पानी में चावल के आटे व नमक को घोलकर , तवे पर हल्की आंच में तेल से सेंका जाता है।
- गुरहा चीला - पानी में चावल के आटे व गुड़ को घोलकर , तवे पर हल्की आंच में तेल से सेंका जाता है।
- बेसन चीला - बेसन को पानी में घोलकर, तवे पर हल्की आंच में तेल से सेंका जाता है बेसन चीला का दही के साथ सब्जी भी बनाया जाता है।
- फरा - चावल के आटे को नमक डालकर गूंधकर भाप से पकाकर फिर तड़का लगाकर खाया जाता है। इसे विशेषकर दिवाली त्यौहार में बनाया जाता है।
- मुठिया - चांवल के आटे में थोड़ा सा पका हुआ चांवल मिलाकर इसे गूँथ कर छोटे छोटे लोइया लेकर मुठिया का आकार दिया जाता है इसके बाद तिल ,मिर्ची ,सरसो या जीरा के तड़के में पानी डालकर इसे तब तक पकाया जाता है जब तक यह सुनहरा न हो जाये।
- अंगाकर रोटी (खुपुर्री रोटी) - चावल के आटे को पके हुए चावल के साथ गूंधकर पतला बेलकर,तवे पर हल्के तेल में पकाया जाता है ।
- चौसेला - इसे आप चावल आटे का पूड़ी भी कह सकते है। गरम पानी में स्वादानुसार नमक व चावल के आटे को गूंधकर, पूड़ी के समान बेलकर, तेल से तला जाता है ।
- हथ फोडवा - ये चीला का ही रूप है जिसे चावल आटे को घोल कर बिना तेल के तवा में पकाया जाता है। उसे हथ फोडवा कहते है।
- बरा रोटी - उड़द दाल को अच्छे से भिगाकर पीस कर, प्याज व कटी हरी मिर्च, सूखा धनिया बारीक कूट कर डालते है इसे अच्छे से फेंटकर गरम तेल में तला जाता है। इसे मुंग दाल से भी बनाया जाता है।
- ठेठरी -ठेठरी बनाने के लिए बेसन ,जीरा ,तिल ,लाल मिर्च ,हल्दी ,नमक डाले और कड़ा आटा गूथ ले। गुंदे हुए बेसन से छोटी-छोटी लोई बनाएं।अब लोई को गोल या अपने मनपसंद आकार में बना ले।
- टमाटर चटनी (पताल चटनी)- टमाटर, हरी मिर्च, धनिया पत्ती,नमक व लहसुन को सिलबट्टे पर पीसकर बनाया जाता है।
- चपोड़ा चटनी -अदरक, लहसुन, लाल मिर्च, हरी मिर्च, धनिया को पत्थर के सिल-बट्टे पर इन चींटियों के साथ पीसकर चटनी बनाई जाती है।
छत्तीसगढ़ के नमकीन रोटी
छत्तीसगढ़ के मिठाई
- बोबरा - गेहूं का आटा, चावल का आटा,पिसी हुई चीनी को फेंटकर तैयार गाढ़े धोल को वृत्ताकार आकार देकर, तेल से तला गया मिष्ठान।
- गुलगुल भजिया - गुलगुल भजिया को गेंहू आंटे से बनाया जाता है। गेंहू आंटा लेकर उसमे शक्कर की चासनी या गुड़ की चासनी से पकोड़े के लिए आटा गुथा जाता है। फिर उसे पकोड़े की तरह तल कर निकाल लिया जाता है।
- देहरउरी - भीगे चावल को दरदरा पीसकर, दही के साथ फेंटकर, वृत्ताकार देकर तेल से तलकर, गुड़ शक्कर की चासनी में डुबाकर बनाया जाता है ।
- दूध फरा - चांवल आटे को पानी में गूंधकर लोई बनाकर फरा बनाने के बाद इसे उबलते हुए दूध और शक्कर साथ पकाया जाता है।
- अईरसा -भीगे चावल को हल्का सुखाकर दरदरा पीसकर गुड़ मिलाकरए गूंधकर हाथ से आकार देकर तेल में तल कर बनाया जाता है।
- तसमई - तसमई खीर जैसा व्यंजन है। दूध और चांवल को पकाकर इसे बनाया जाता है।
- खुरमी -आटे में मोयन ,तिल ,मेवे ,मिलाए अच्छे से एकसार करें अब गुड़पानी से आटा गूंथ लें औरअब आटे की लोई बनाए इसे बेलें और मनपंसद आकार में काटे अब तेल /घी गरम करके धीमी से मिडियम आंच पर सुनहरा तल कर बनाया जाता है।
- बिड़िया - आटे को मोयन में मिलाकर, पानी के साथ गूंधकर, लोई को छोटे मोटे बेलकर, आकार देकर सेकना, फिर उसे शक्कर ध्गुड़ की चाशनी में भिगोकर, सुखाकर बनाया जाता है।
- पिड़िया - चावल को भिगाकर, सुखाकरए,आटे को दही में फेटकर, घी से तलकर सेव बनाकर, इस सेव को सिलबट्टे से पीसकर, चूरा शक्कर मिलाकर, मुठ्ठी से आकार देकर, शक्कर की चाशनी में डुबाकर बनाया जाता है।
- पपची - गेंहू के आटे में थोड़ा चावल का आटा मिलाकर, मोयन डालकर, पानी से गूंधकर, मोटे चौकोर आकार में तेल मे तलकर, गुड़ की चाशनी में डुबाकर यह कुरकुरा मिठाई बनता है।
- पूरन लाडू - गेंहू के आटे को घी में लाल भून कर, शक्कर, मेवा मिलाकर लडडू बनाकर, उसपर बूंदी को गुड़ की चाशनी में मिलाकर, पूरन के गोल लडुओं, के उपर इस बूंदी को परत डालकर, मुठ्ठी से दबाकर बनाया जाता है।
- करी लाडू - बेसन के सेव को गुड़ की चाशनी में मिलाकर, मुट्ठी से गोल आकार देकर बनाया जाता है।
- बूंदी लाडू - बूंदी को शक्कर की चाशनी में मिलाकर, मुट्ठी से गोल आकार बनाया जाता है।
- मूर्रा लाडू - मुरमुरे को गुड़ की चाशनी में मिलाकर, मुट्ठी से गोल आकार देकर तैयार लडडू।
No comments:
Post a Comment