छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ो के नाम | Names of 36 forts of Chhattisgarh
साहित्य में छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम खैरागढ़ के राजा लक्ष्मीनिधि राय के काल में कवि दलपतराव ने सन 1494 में किया -" लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित दे ,गढ़ छत्तीस में न गढ़ैया रही " ।
रतनपुर के कवि गोपाल चंद्र मिश्र रचित खूब तमाशा में सन 1686 में छत्तीसगढ़ नाम का उल्लेख हुआ है।
रेवाराम ने विक्रम विलास नामक ग्रन्थ में जिसकी रचना सन 1896 में हुई थी छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग किया है।
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शाब्दिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का अर्थ होता है (छत्त्तीस +गढ़ ) छत्तीस किले या गढ़ कल्चुरी शासन काल में रतनपुर शाखा एवं रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 -18 गढ़ थे। इनमे से गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में तथा गढ़ नदी के दक्षिण में स्थित थे। कालांतर में उत्तर के गढ़ रतनपुर शाखा के अधीन तथा दक्षिण के गढ़ रायपुर शाखा के अधिकार क्षेत्र में थे। इस प्रकार कुल 36 गढ़ थे इसका सन्दर्भ आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र की किताब छत्तीसगढ़ का इतिहास में मिलता है। छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ो के नाम इस प्रकार है :-
रतनपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढ़ो के नाम -
- रतनपुर
- मारो
- विजयपुर
- खरौद
- कोटगढ़
- नवागढ़
- सोढ़ी
- औखर
- पण्डरभाठा
- सेमरिया
- मदनपुर
- कोसगई
- लाफागढ़
- केंदा
- उपरोड़ा
- मातिन
- कंडी (पेण्ड्रा )
- करकट्टी (बघेलखण्ड )
रायपुर रतनपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढ़ो के नाम -
- रायपुर
- पाटन
- सिमगा
- सिंगारपुर
- लवन
- अमोरा
- दुर्ग
- सरदा
- सिरसा
- मोहदी
- खलारी
- सिरपुर
- फिंगेश्वर
- राजिम
- सिंघनगढ़
- सुअरमार
- टेंगनागढ़
- एकलवार (अकलतरा )
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